शेयर मार्केट कैसे चलता है? [2025 की पूरी गाइड] – स्टॉक एक्सचेंज, सेंसेक्स, निफ्टी आसान भाषा में?

क्या कभी आपने सोचा है कि भारत में share market kaam kaise karta hai? शेयर मार्केट कैसे चलता है? [2025 की पूरी गाइड]
भारत में शेयर मार्केट एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहाँ कंपनियाँ अपने शेयर जनता को बेचती हैं और निवेशक इन शेयरों को खरीदते हैं। यह पूरी प्रक्रिया स्टॉक एक्सचेंज जैसे NSE और BSE के ज़रिए होती है, जिन्हें SEBI रेगुलेट करता है। सेंसेक्स और निफ्टी जैसे इंडेक्स शेयर बाजार की दिशा और ट्रेंड को दर्शाते हैं। IPO, बुल और बियर मार्केट जैसी चीज़ें इस सिस्टम का हिस्सा हैं, जो मार्केट को प्रभावित करती हैं।

इसके बारे में जाने से पहले यह अवश्य पढ़ लेना चाहिए चाहिए कि:

क्या आपने कभी सोचा है कि शेयर मार्केट में हल्की सी खबर आने पर ही किसी शेयर का दाम आसमान छूने लगता है या जमीन पर गिर जाता है? अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं!

अगर आप भी शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं या करने की सोच रहे हैं, तो यह जानना बहुत जरूरी है कि stock market kaise kaam karta hai (how stock market works in Hindi)

आइए, कुछ अहम सवालों पर नज़र डालते हैं जो हर नए निवेशक के मन में जरूर आते हैं:

  • आखिर शेयर मार्केट को चलाता कौन है?
  • छोटी-छोटी खबरों से शेयर के भाव इतनी जल्दी ऊपर-नीचे क्यों हो जाते हैं?
  • बजट पेश होते ही सेंसेक्स और निफ्टी में अचानक तेजी या भारी गिरावट क्यों आती है?
  • बाजार गिरने पर ये क्यों कहा जाता है कि ‘बजट मार्केट को पसंद नहीं आया’?
  • ऐसे हालात में निवेशकों का पैसा कैसे डूबता है या अचानक दोगुना होता है?

इन सभी सवालों के पीछे जो तंत्र है, वो समझना आपके लिए बेहद जरूरी है — ताकि आप बिना डर के स्मार्ट निवेश कर सकें।

तो चलिए, विस्तार से जानते हैं कि भारत में share market kaam kaise karta hai और इसके पीछे कौन-कौन से घटक मिलकर इस पूरे सिस्टम को चलाते हैं।

इस पोस्ट में आप जानेंगे-

शेयर मार्केट कैसे काम करता है? How stock market works in hindi?

क्या आप जानते हैं कि शेयर बाजार न सिर्फ बड़ी कंपनियों को ग्रो करने का मौका देता है, बल्कि आपको भी भारत की टॉप कंपनियों में हिस्सेदार बनने का मौका देता है?

शेयर मार्केट कैसे काम करता है, यह समझने के लिए पहले यह जानना जरूरी है कि इसका फायदा सिर्फ कंपनियों को ही नहीं, आम निवेशकों को भी होता है।

आसान शब्दों में समझिए:

  • शेयर बाजार एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहाँ छोटी और बड़ी कंपनियां आम लोगों से पूंजी जुटाती हैं ताकि वे अपने बिजनेस को आगे बढ़ा सकें। इसके बदले में ये कंपनियां आपको अपने शेयर (हिस्सेदारी) देती हैं। आप जब किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं, तो आप उसके शेयरहोल्डर बन जाते हैं।

इसका मतलब है कि अब आप उस कंपनी के मुनाफे और नुकसान के भागीदार हैं। जैसे ही कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, उसके शेयर का भाव बढ़ता है, और आपको भी प्रॉफिट होता है।

सोचिए, आज आप रिलायंस, टीसीएस, या इंफोसिस जैसी दिग्गज कंपनियों के शेयर खरीदकर उनके ग्रोथ में भागीदार बन सकते हैं!

लेकिन बात आके यहाँ अटक जाती है कि आखिर; शेयर खरीदते और बेचते कैसे हैं तो चलिए समझते है इसको –

क्या कभी आपने सोचा है, कि आप भी रिलायंस जैसे बिजनेस में हिस्सेदार बन सकते हैं!
जी हां, बिल्कुल सही पढ़ा आपने! आज के Digital युग में किसी भी बड़ी कंपनी जैसे रिलायंस,TCS या Infosys के शेयर खरीदना अब बहुत आसान हो गया है — बस एक स्मार्टफोन चाहिए और एक Demat अकाउंट

अगर आप जानना चाहते हैं कि शेयर मार्केट कैसे काम करता है और कैसे आप घर बैठे शेयर खरीद-बेच सकते हैं, तो नीचे दिए स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस को ध्यान से पढ़िए –

Step-by-Step: कैसे खरीदें शेयर

  • Demat अकाउंट खोलें:
    सबसे पहले आपको एक डिमैट अकाउंट चाहिए, जो आप ज़ेरोधा, Upstox, Angel One जैसे ब्रोकर ऐप्स पर फ्री में खोल सकते हैं।
  • ब्रोकर ऐप में लॉग इन करें:
    अकाउंट बनने के बाद ऐप में लॉग इन करें और अपने वॉलेट में पैसे ऐड करें।
  • शेयर सर्च करें:
    अब Reliance जैसे किसी भी शेयर का नाम सर्च करें, जिसका आप निवेश करना चाहते हैं।
  • Buy पर क्लिक करें:
    शेयर का प्राइस, चार्ट और “Buy” व “Sell” बटन दिखाई देंगे — बस कितने शेयर खरीदने हैं, वो डालें और Buy बटन दबा दीजिए।
  • शेयर पोर्टफोलियो में जुड़ जाएगा:
    अब आपके पास उस कंपनी की हिस्सेदारी यानी उसके शेयर होंगे, जो आपके पोर्टफोलियो में दिखेगा।
  • प्रॉफिट कब और कैसे होगा?
    जैसे ही उस शेयर का दाम बढ़ता है, आप उसे बेच सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं।

उदाहरण से समझिए – Profit कैसे होता है?

मान लीजिए आपने ₹100 प्रति शेयर की कीमत पर किसी कंपनी के 100 शेयर खरीदे,
टोटल निवेश हुआ ₹10,000

कुछ दिनों बाद शेयर का प्राइस बढ़कर ₹150 हो गया, और आपने वे 100 शेयर बेच दिए।
अब टोटल वैल्यू हुई ₹15,000

यानी सीधे-सीधे आपका ₹5,000 का मुनाफा हुआ — वो भी कुछ ही दिनों में!

लेकिन यहाँ जरा रुकिए… इतना आसान भी नहीं है!
शेयर बाजार में कदम रखना जितना आसान सुनाई देता है, असल शेयर मार्केट उतना सीधा भी नहीं होता। इसके पीछे बहुत सी जरूरी बातें हैं जिन्हें जानना और समझना बहुत आवश्यक है।

इसलिए मैं आपको strongly recommend करता हूँ कि नीचे दी गई सभी गाइड्स और पोस्ट्स को ध्यान से पढ़ें — ताकि आप शेयर मार्केट कैसे काम करता है ये सिर्फ समझें नहीं, उसमें स्मार्ट तरीके से निवेश भी कर सकें:

  • शेयर खरीदने से पहले हमें किन बाते को देखना चाहिए?
  • शेयर कब खरीदना और बेचना चाहिए?
  • शेयर मार्केट में पैसा कब लगाना चाहिए?
  • शेयर मार्केट में निवेश करते समय क्या सावधानियां रखनी चाहिए? (15+ tips)
  • शेयर की इंटरिंसिक वैल्यू क्या होती है?
  • शेयर की कीमतें कैसे घटती या बढ़ती हैं?
  • किस कंपनी के शेयर खरीदे? यहाँ जाने 5 आसान तरीके पता करने के
  • (7 तरीके) अच्छे शेयर का चुनाव कैसे करें?

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शेयर मार्केट को कौन चलाता या Regulate करता है?

शेयर मार्केट कैसे चलता है

शेयर मार्केट कैसे चलता है? आइये यहाँ समझते हैं कि कौन-कौन इसके मुख्य players होते हैं|जब हम बात करते हैं शेयर मार्केट कैसे काम करता है, तो सिर्फ निवेशक और कंपनियां ही नहीं, इसके पीछे एक पूरा सिस्टम होता है जो मिलकर इस बाजार को चलाता है।
स्टॉक एक्सचेंज (BSE/NSE), ब्रोकर्स, शेयर खरीदने और बेचने वाले निवेशक — ये सभी इस सिस्टम का अहम हिस्सा हैं। लेकिन इसके ऊपर एक ऐसा संगठन है जो पूरे बाजार की निगरानी करता है और नियमों का पालन करवाता है — और वो है SEBI (Securities and Exchange Board of India)।

जब बात करते हैं कि शेयर मार्केट का असली बॉस कौन?
तो हम देखते हैं कि SEBI ही शेयर बाजार का असली नियंत्रणक कर्ता (Regulator) है। इसकी मंजूरी और नियमों के बिना कोई भी — चाहे वो कंपनी हो, ब्रोकिंग फर्म हो, स्टॉक एक्सचेंज या खुद निवेशक — बाजार में काम नहीं कर सकता, पूरा control इसी सेबी के पास होता है

SEBI के मुख्य कार्य क्या है?

  • शेयर बाजार की निगरानी करता है
  • नियमों का पालन सुनिश्चित करता है
  • गलत गतिविधियों पर कार्रवाई करता है
  • नए नियम बनाकर बाजार को सुरक्षित और पारदर्शी बनाता है

SEBI को भारत सरकार द्वारा इसलिए स्थापित किया गया है ताकि stock market में पारदर्शिता बनी रहे और छोटे-बड़े निवेशकों का भरोसा बना रहे।

शुरुवात में शेयर बाजार कैसे काम करता था?

आज के समय में आप घर बैठे मोबाइल ऐप के ज़रिए एक क्लिक में किसी भी कंपनी के शेयर खरीद और बेच सकते हैं। लेकिन पहले ऐसा बिल्कुल भी नहीं था।

पुराने समय में जब डिजिटल टेक्नोलॉजी नहीं थी, उस समय अगर किसी व्यक्ति को शेयर खरीदने या बेचने होते थे, तो उसे खुद मुंबई के स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में जाकर ट्रेडिंग करनी पड़ती थी। मतलब, किसी भी प्रकार की खरीद-बिक्री के लिए फिज़िकली मौजूद रहना अनिवार्य था।

ना तो उस समय कोई ब्रोकरेज ऐप हुआ करती थी, और ना ही कंपनियों की जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध होती थी। ट्रेडिंग मैनुअली होती थी — यानी हर लेन-देन रजिस्टर में दर्ज किया जाता था और शेयर सर्टिफिकेट फिज़िकल फॉर्म में दिए जाते थे।

इसलिए जब आप यह पूछते हैं कि “शेयर मार्केट पहले कैसे काम करता था?”, तो उसका जवाब है — बेहद जटिल, समय लेने वाला और सिर्फ कुछ ही लोगों की पहुंच तक सीमित।

आज तकनीक ने सब कुछ आसान कर दिया है। अब आप मोबाइल से निवेश कर सकते हैं, चार्ट देख सकते हैं, कंपनियों की रिपोर्ट पढ़ सकते हैं और real-time में decision ले सकते हैं — और यही डिजिटल इंडिया की ताकत है।

स्टॉक एक्सचेंज क्या है और कैसे काम करता है? | How Stock Exchange Works in Hindi

भारत में दो प्रमुख और विश्वसनीय स्टॉक एक्सचेंज हैं:

  • BSE (Bombay Stock Exchange)
  • NSE (National Stock Exchange)

BSE एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है, जिसकी स्थापना 1875 में हुई थी। इसी के जरिए भारत में शेयर मार्केट की शुरुआत हुई, जहाँ लोगों ने कंपनियों के शेयरों में निवेश करना शुरू किया।

जैसे-जैसे ट्रेडिंग का दायरा बढ़ा, भारत सरकार ने एक तकनीकी रूप से बेहतर और अधिक व्यवस्थित स्टॉक एक्सचेंज की नींव रखी — जिसे हम आज NSE के नाम से जानते हैं।

आज के समय में दोनों एक्सचेंज पर ट्रेडिंग होती है और ज्यादातर कंपनियां NSE और BSE दोनों पर लिस्टेड होती हैं। हालांकि, दोनों प्लेटफॉर्म्स पर शेयर के दाम में कुछ पैसे का मामूली फर्क हो सकता है — ठीक वैसे ही जैसे आप एक ही प्रोडक्ट को दो अलग-अलग ई-कॉमर्स साइट्स पर थोड़े अलग दाम पर देख सकते हैं।

शेयर-मार्केट-कैसे-चलता-है?

यदि आपने कभी BSE की बिल्डिंग देखी हो, तो आपको ऊपर की LED स्क्रीन पर लाल और हरे रंग में बदलते नंबर दिखाई देंगे, जो रियल-टाइम में शेयर बाजार की चाल को दर्शाते हैं।

अभी जो ऊपर बताया उसमे निफ्टी और सेंसेक्स क्या होते हैं इनको समझ लेते है ―

सेंसेक्स और निफ्टी का काम करने का तरीका क्या है? | Stock Index Explained (Hindi)

निफ्टी और सेंसेक्स क्या हैं और कैसे काम करते हैं?
जब भी आप टीवी पर कहते सुनेगे कि “आज सेंसेक्स 500 पॉइंट चढ़ा” या “निफ्टी में गिरावट आई” — तो इसका मतलब सिर्फ शेयर मार्केट नहीं, बल्कि देश की टॉप कंपनियों की हालत का संकेत होता है।
निफ्टी और सेंसेक्स दरअसल शेयर बाजार के दो सबसे महत्वपूर्ण इंडेक्स (सूचकांक) हैं, जो भारत की अर्थव्यवस्था की नब्ज को मापते हैं।

आइए आसान भाषा में समझते हैं:

सेंसेक्स (Sensex):

  • यह BSE (Bombay Stock Exchange) का इंडेक्स है।
  • इसमें भारत की 30 सबसे बड़ी और स्थिर कंपनियों को शामिल किया गया है।
  • जब इन कंपनियों का प्रदर्शन बेहतर होता है, सेंसेक्स ऊपर जाता है — और जब गिरावट आती है, सेंसेक्स नीचे आता है।

निफ्टी (Nifty):

  • यह NSE (National Stock Exchange) का इंडेक्स है।
  • इसमें देश की टॉप 50 कंपनियां शामिल होती हैं।
  • इसका पूरा नाम है Nifty 50, और यह भारत की अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्से को दर्शाता है।

जब सेंसेक्स की शुरुआत हुई थी, तब इसकी वैल्यू सिर्फ 100 पॉइंट थी। आज यह 70000 से भी ऊपर है — जो भारत के शेयर मार्केट की ग्रोथ को दर्शाता है।

फीचरNifty 50Sensex
स्टॉक एक्सचेंजNSE (National Stock Exchange)BSE (Bombay Stock Exchange)
शुरुआत वर्ष19961986
शामिल कंपनियांटॉप 50 कंपनियांटॉप 30 कंपनियां
कंपोजिशन बेसिसमार्केट कैपिटलाइजेशन और लिक्विडिटी के आधार परमार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर
बेंचमार्क इंडेक्सNSE का बेंचमार्कBSE का बेंचमार्क
सेक्टर कवरेजज्यादा डायवर्सिफाइड (ज़्यादा कंपनियां)थोड़ा कम डायवर्सिफाइड
कोडNIFTY 50BSE SENSEX
Comparison Box (Nifty vs Sensex)

पिछले दो दशकों में सेंसेक्स और निफ्टी ने कई बड़ी गिरावटें और साथ में ज़बरदस्त उछाल भी देखे हैं।
अगर हम बात करे सबसे बड़े उदाहरण की तो वो है 2008 का ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस, जब सेंसेक्स इंडेक्स में करीब 60% तक की भारी गिरावट दर्ज की गई थी। उस समय निवेशकों को बड़ा झटका लगा था और शेयर बाजार में जबरदस्त मंदी देखने को मिली थी।

सेंसेक्स और निफ्टी क्या है

Biggest Crashes in Sensex History (सेंसेक्स की सबसे बड़ी गिरावटें)

सालघटनासेंसेक्स में गिरावट (%)
1992हर्षद मेहता घोटालालगभग 55%
2000डॉट कॉम बबल क्रैशकरीब 40%
2008ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस (Subprime)लगभग 60%
2016नोटबंदी का असरकरीब 6% (शॉर्ट टर्म)
2020COVID-19 लॉकडाउन शॉककरीब 38%
शेयर-मार्केट-कैसे-चलता है?

हर गिरावट के बाद शेयर बाजार ने कुछ समय में खुद को रिकवर किया है — और यही लॉन्ग टर्म निवेश का असली मैजिक है।

Biggest Bull Runs in Sensex History (सेंसेक्स की सबसे बड़ी तेजी)

सालघटना/कारणसेंसेक्स में तेजी (%)
2003-2007आर्थिक सुधार और FII निवेशलगभग 400% तक की तेजी
2014मोदी सरकार की पहली जीतलगभग 30%+
2017GST लागू, घरेलू निवेशक एक्टिवलगभग 28%+
2020-2021COVID के बाद रिकवरी + डिजिटल कंपनियों की तेजीकरीब 140%+
2023-2024मजबूत अर्थव्यवस्था और IPO बूमकरीब 25-30%

सेंसेक्स समय-समय पर ये साबित करता है कि गिरावट के बाद संयम रखने से शानदार रिटर्न मिल सकता है।

क्या आप जानते हैं? हर मार्केट क्रैश में कुछ लोग अपनी पूंजी खो बैठते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो उसी गिरते बाजार में करोड़पति बन जाते हैं!
2008 की मंदी हो या 2020 का कोविड क्रैश, एक बात बार-बार साबित हुई है:

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट = स्मार्ट इन्वेस्टमेंट!

जब पेनी स्टॉक्स में निवेश करने वाले कंगाल हो गए, तब मजबूत कंपनियों में निवेश करने वालों ने अपने पैसे को 10 गुना तक बढ़ा लिया।

शेयर मार्केट क्रैश से बचने के लिए अपनाएं ये स्मार्ट स्ट्रैटेजी

ब्लू-चिप स्टॉक्स चुनेंजैसे Reliance, Infosys, TATA – ये कंपनियाँ लंबे समय में भरोसेमंद साबित होती हैं।
डायवर्सिफाई करें:म्यूचुअल फंड, गोल्ड और स्टॉक्स में संतुलन ज़रूरी है।
पेनी स्टॉक्स से बचें99% पेनी स्टॉक्स सिर्फ लालच का जाल होते हैं।
SIP का सहारा लेंमार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर

क्या आप भी ये बड़ी गलतियाँ कर रहे हैं?

बिना रिसर्च किए सिर्फ ‘सस्ते शेयर’ खरीदना
डर या लालच में इमोशनल डिसीजन लेना
जल्दी रिटर्न के चक्कर में घाटे वाले स्टॉक्स पकड़ना
शेयर बाजार को समझे बिना ट्रेडिंग शुरू कर देना

अगर आप वाकई में शेयर मार्केट में पैसा कमाना चाहते हैं, तो आपको सही कंपनियों में निवेश, धैर्य और सीखना होगा।
मार्केट क्रैश तो आते-जाते रहेंगे… लेकिन स्मार्ट इन्वेस्टर वही है जो गिरावट को मौके में बदलना जानता है!

क्या आप जानते हैं कि सही रणनीति से निवेश करके आप अपने पैसे को कई गुना बढ़ा सकते हैं? वॉरेन बफे, जिन्हें दुनिया के सबसे सफल निवेशकों में गिना जाता है, ने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा सिर्फ शेयर बाजार में निवेश करके ही बनाया है। उनकी सफलता का राज छुपा है “द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर” नामक किताब में, जिसे वे अपने निवेश के फिलॉसफी की बाइबल मानते हैं।

 वॉरेन बफे कहते हैं कि― इस किताब ने मेरी जिंदगी बदल दी और अगर शेयर मार्केट की दुनिया में सफल होना है तो हर एक निवेशक को यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए।

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Bull vs Bear Market Explained in Hindi | शेयर मार्केट में इनका क्या मतलब होता है

शेयर बाजार में Bull और Bear आप इस तरह से समझ सकते है। जब शेयर मार्केट में तेजी आती है और स्टॉक्स की कीमतें लगातार ऊपर बढ़ती हैं, तो इसे Bull Run कहा जाता है और वहीं दूसरी तरफ, जब मार्केट में गिरावट होती है और शेयरों के दाम लगातार नीचे गिरते हैं, तो इसे Bear Run कहा जाता है।

how share market works

जब Bull Run होता है तो इस तरह की मार्केट में निवेशक काफी आशावादी रहते हैं और ज्यादा से ज्यादा निवेश करते हैं ऐसा देखा जाता है। जब Bear Run होता है,तो इस तरह की मार्केट में निवेशक सतर्क हो जाते हैं और मार्केट में डर का माहौल बन जाता है।

साल 2020-2021 में कोविड के बाद का समय एक क्लासिक Bull Market का उदाहरण है। उस दौरान Sensex और Nifty दोनों ने नए-नए All-Time High (ATH ) बनाए थे।

साल 2008 में Global Financial Crisis के समय शेयर बाजार में बहुत बड़ी गिरावट आई थी। यह समय एक क्लासिक Bear Market का उदाहरण माना जाता है।

जो इन्वेस्टर शेयरों को खरीदते हैं और बाजार को ऊपर चढ़ाते हैं, उन्हें Bull कहा जाता है, वहीं जो निवेशक स्टॉक्स को बेचते हैं (मतलब बिकवाली) करते हैं, मार्केट में दबाव बनाते हैं, उन्हें Bear कहा जाता है

  • भारत के सबसे मशहूर इन्वेस्टर राकेश झुनझुनवाला को शेयर बाजार में प्यार से Big Bull कहा जाता है। जब वह किसी शेयर में निवेश करते थे, तो मार्केट में उस स्टॉक की डिमांड तेजी से बढ़ जाती थी, पूरा बाजार उस शेयर पर टूट पड़ता था और शेयर का प्राइस भी ऊंचा हो जाता था। इसलिए उन्हें शेयर बाजार का बिग बुल कहा गया।

उम्मीद है अब आपको Bull Market और Bear Market का कांसेप्ट पूरी तरह समझ में आ गया होगा!

अब चलिए आगे जानते हैं — शेयर बाजार से जुड़ी एक और जरूरी और दिलचस्प जानकारी…

शेयर मार्केट में आईपीओ (IPO) क्या है? जानें कैसे काम करता है और कैसे करें निवेश!

How IPO works in stock market in hindi―

आईपीओ (Initial Public Offering) एक तरह की वह प्रक्रिया है, जिसमें एक प्राइवेट कंपनी पहली बार अपने शेयर सार्वजनिक रूप से बाजार में लती है और उसे बेचती है। आईपीओ लेन का उद्देश्य कंपनी को पूंजी जुटाने में मदद करना होता है ताकि वह अपने व्यवसाय को और अधिक बढ़ा सके। आइए जानते हैं कि आईपीओ का काम कैसे होता है:

आइये एक उदाहरण से जानते है इसको –

सोचिए, अगर आप कोई अपनी एक कंपनी चला रहे है अच्छे से काम कर रहे हैं, कुछ समय बाद अब आपको अपने व्यापार व कंपनी के व्यवसाय को बढ़ाने के लिए ₹25 लाख की जरूरत है। आपके पास इसके लिए दो तरीके हैं — या तो आप बैंक से लोन ले सकते हैं या फिर अपने परिवार और किसी जान पहचान वाले लोगो से उधार मांग सकते हैं।

अब अगर ऐसा हो कि अगर बैंक लोन न दे और आपके दोस्त और जान पहचान वाले लोग भी मना कर दें, तो फिर आप क्या करेंगे ?

अब यहाँ पिक्चर में आता है, एक और तरीका — वो हैं आईपीओ (Initial Public Offering)। आप अपनी कंपनी को शेयर बाजार में लिस्ट कर सकते हैं और लोगों से शेयर बेचकर वह पैसा जुटा सकते हैं।

इसके पहले आपको कुछ Paperwork करना होता है और अपनी कंपनी की जानकारी स्टॉक एक्सचेंज और SEBI (Securities and Exchange Board of India) को देनी होती है। जब SEBI से अनुमोदन मिल जाता है, तो आप उस कीमत पर अपनी कंपनी के शेयरों को बाजार में बेचने के लिए तय कर सकते हैं।

लोग उन शेयरों को उस कीमत पर खरीदते हैं, और जब सभी शेयर बिक जाते हैं, तो आपका पैसा कंपनी के खाते में जमा हो जाता है। इस तरह से आपकी कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट हो जाती है, और आपने ₹25 लाख (या जितनी रकम की जरूरत थी) आसानी से जुटा ली।

आइये अब जानते है क्यों यह दोनों के लिए फायदे का सौदा है?

जैसे-जैसे आपकी कंपनी मुनाफा कमाती है, वैसे-वैसे आपके शेयरों की कीमत भी बढ़ने लगती है। इसका मतलब यह है कि जिन्होंने आपकी कंपनी के शेयरों में निवेश किया है, उनका पैसा भी बढ़ता जाता है। तो यह एक win-win स्थिति बन जाती है — आपकी कंपनी बढ़ती है और निवेशकों का पैसा भी बढ़ता है।

शेयर मार्केट में लोग नुकसान क्यों और कैसे करते हैं?

शेयर बाजार में ये 7 गलतियाँ आपका पैसा डुबो सकती हैं! (और बचने का आसान तरीका)

शेयर-मार्केट-में-नुकसान-क्यों-होता-है

नए निवेशकों के लिए सीधी-सरल बातें जो आपको जरूर जाननी चाहिए –

क्या आप भी बिना सोचे शेयर खरीदते हैं? किसी के कहने पर, “सस्ते” दिखने वाले शेयरों में पैसा डाल देते हैं, या रातों-रात अमीर बनने का सपना देखते हैं? सच तो यह है: शेयर बाजार में 90% लोग पैसे इसलिए गंवाते हैं क्योंकि वे ये आम गलतियाँ करते हैं। चलिए, इन्हें समझें और सुधारें!

  • बिना ज्ञान के निवेश करना शेयर बाजार के बेसिक्स न समझना.
  • कंपनी का बिजनेस मॉडल ही नहीं पता होना.
  • किसी की बातों में आकर पैसा लगाना यूट्यूब/दोस्त के टिप्स पर.
  • कंपनी को न जानना, कंपनी क्या करती है, उसका मुनाफा कैसा है, ये नहीं पता.
  • सस्ते शेयरों में निवेश: सस्ते शेयरों को खरीदने का लालच कई बार नुकसान का कारण.
  • धैर्य की कमी: पैसा डबल होने की जल्दी में लोग जल्दी निवेश करके नुकसान कर बैठते हैं.
बिना ज्ञान के निवेशशेयर बाजार के बेसिक्स (जैसे अपर/लोअर सर्किट, कंपनी का मुनाफा) न समझना। ऐसा करना बिना हेलमेट बाइक चलाने जैसा है!  
सस्ता = अच्छा?”₹10 वाले शेयर को “सस्ता” समझकर खरीदना। याद रखें: कम दाम हमेशा अच्छा नहीं होता है. 
किसी की बातों में आकर पैसा लगानायूट्यूब/दोस्त के टिप्स पर अंधा भरोसा? ये जुआ है, निवेश नहीं!  
कंपनी को न जाननाअगर आपको कंपनी क्या करती है, उसका मुनाफा कैसा है, ये नहीं पता, तो शेयर क्यों खरीद रहे हैं?  
जल्दबाज़ी करना10 दिन में पैसा डबल करूँगा!” ऐसी सोच से सिर्फ नुकसान होता है।  
सर्किट का पता न होनाअपर सर्किट (शेयर कीमत बढ़ने पर रुकावट) या लोअर सर्किट (कीमत गिरने पर रुकावट) न समझना। ऐसे में पैसा फँस सकता है!  
टेंशन लेनाशेयर गिरते ही घबराकर बेच देना। बाजार उतार-चढ़ाव है, इसमें धैर्य ज़रूरी है।  

समझदारी से निवेश कैसे करें?

  • कंपनी को पहचानें: काम, मुनाफा, कर्ज कितना है? रिसर्च करें, उनके बिजनेस के बारे में पढ़ें।
  • लंबे समय के लिए सोचें: अच्छे शेयर 1-2 साल में नहीं, 5-7 साल में मुनाफा देते हैं।
  • छोटे से शुरुआत करें: पहले Index Funds या SIP में पैसा लगाएँ। रिस्क कम होगा।
  • सीखते रहें: “शेयर मार्केट” पर किताबें पढ़ें, विडियो देखें। ज्ञान बढ़ेगा, गलतियाँ कम होंगी।

शेयर बाजार में निवेश करने से पहले खुद से एक बार जरूर यह सवाल पूछें — क्या मैं इस कंपनी को आने वाले 5 साल बाद भी याद रखूंगा? क्या मैं इस शेयर को खरीदने का कोई ठोस और सटीक कारण बता सकता हूँ? और सबसे जरूरी, अगर कल इस शेयर की कीमत गिरती है तो क्या मैं घबराए बिना शांत रहूंगा?

अगर इन सवालों का जवाब आपके पास साफ-साफ नहीं है, तो बेहतर होगा कि आप अभी रुक जाएं। पहले अच्छी तरह सीखें, समझें और उसके बाद ही सोच-समझकर निवेश करें। यही तरीका आपको नुकसान से बचाएगा और लंबे समय में अच्छा रिटर्न भी देगा।

बहुत से नए निवेशक जोश-जोश में शेयर तो खरीद लेते हैं, लेकिन जब बेचने की बारी आती है तो फंस जाते हैं। वजह क्या होती है? — सर्किट!

जी हां, कई बार किसी शेयर पर अपर सर्किट या लोअर सर्किट लग जाता है, जिससे आप चाहकर भी उस शेयर को बेच नहीं पाते। सबसे बड़ी गलती यही होती है कि शेयर मार्केट में लोग बिना ये जाने ही कि आखिर Upper Circuit और Lower Circuit होता क्या है। शेयर बाजार में participate करने लग जाते हैं।

बिना सही जानकारी के सिर्फ दूसरों के कहने पर पैसा लगाना, आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है। इसलिए, निवेश करने से पहले शेयर बाजार की ये बुनियादी बातें जरूर सीखें। तभी आपका पैसा सही जगह और सही वक्त पर सुरक्षित रहेगा।

आइये अब आपके हम यही बातएंगे कि―

क्या होगा अगर शेयर बेचने वाले तो हो लेकिन शेयर खरीदने वाले नहीं?

जब ऐसी स्थिति आती है कि शेयर बेचने वाले तो हो लेकिन शेयर खरीदने वाले नहीं इसका मतलब उस Particular stock में Liquidity नहीं है, ऐसे स्टॉक्स को illiquid stocks कहते हैं.

इस तरह की कम लिक्विडिटी वाली बात केवल छोटी कंपनियों के साथ होती है, मतलब Micro cap या Small cap कंपनियों के शेयर में ही लिक्विडिटी बहुत कम पायी जाती है

कोई भी Micro cap या Small cap वाली कंपनियां जो शेयर बाजार में लिस्टेड है इनके शेयर में लिक्विडिटी बहुत कम पायी जाती है , पर जो लोग बना सोचे समझे या बिना जाने न्यूज़ बेस ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट करते हैं और बाद को कोई खबर ऐसी आती है जो उस stock के लिए अच्छी नहीं होती ऐसे में सभी लोग घबरा कर अपने शेयर बेचने लगते हैं, ऐसे में उस के लिए buyer मिलना मुश्किल हो जाता है, क्युकी वो सही कंपनी होती नहीं और कोई उसको buy करने का इक्छुक नहीं होत।

मार्केट में यही दशा मार्केट में illiquidity कहलाती है। ऐसी situation में जब किसी शेयर की कीमत एक तय सीमा से ज्यादा तेजी या गिरावट दिखाती है, तो NSE (National Stock Exchange) उस पर सर्किट लिमिट लगाता है, जिससे अचानक बड़ा नुकसान या घबराहट वाली ट्रेडिंग रोकी जा सके।

जब किसी शेयर की कीमत एक तय सीमा से ज्यादा तेजी या गिरावट दिखाती है, तो NSE (National Stock Exchange) उस पर सर्किट लिमिट लगाता है, जिससे अचानक बड़ा नुकसान या घबराहट वाली ट्रेडिंग रोकी जा सके।

अब आप सोच रहे होंगे ये आखिर सर्किट लिमिट क्या है –

जब शेयर बाजार में किसी शेयर की कीमत बहुत ज्यादा तेजी से ऊपर या नीचे भागती है, तो उसे कंट्रोल में लाने के लिए NSE और BSE उस पर सर्किट लिमिट लगा देते हैं।

सर्किट लिमिट स्टॉक के लिए अलग-अलग तय होती है — ये लिमिट 5%, 10%, 20% तक हो सकती है। यानी अगर किसी शेयर पर 5% सर्किट लिमिट है, तो उस दिन उसकी कीमत 5% से ज्यादा ऊपर या नीचे नहीं जा सकती।

अगर किसी शेयर की वोलैटिलिटी (price में उतार-चढ़ाव) ज्यादा होती है, तो स्टॉक एक्सचेंज उस पर सख्त नजर रखता है। कई बार, जैसे-जैसे कंपनी में स्थिरता आती है या ट्रेडिंग पैटर्न बदलता है, तो सेबी और एक्सचेंज मिलकर उस शेयर की सर्किट लिमिट को बदलते रहते हैं।

✅ शुरू में 5% लिमिट लगाई जाती है।
✅ फिर जैसे-जैसे ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ता है और स्टॉक ज्यादा stable होता है, तो इसे बढ़ाकर 10% या 20% कर दिया जाता है।

लेकिन यह कोई ऑटोमैटिक नियम नहीं है कि हर स्टॉक 5% → 10% → 20% लिमिट से ही गुजरे।
यह सेबी और एक्सचेंज के डिस्क्रिशन पर तय होता है, स्टॉक के रिस्क और उसकी liquidity के आधार पर। खास बात ये है कि F&O (फ्यूचर एंड ऑप्शन) वाले शेयरों पर सर्किट नहीं लगता, क्योंकि वहां मार्केट प्राइस फ्रीली मूव करता है।

हर साल निफ़्टी और सेंसेक्स क्यों बढ़ते हैं? (Why sensex and nifty go up every year?)

अगर आप निफ्टी या सेंसेक्स का पिछले 20 सालों का चार्ट ध्यान से देखें तो आपको साफ़ नजर आएगा कि यह लंबी अवधि में लगातार ऊपर की दिशा में ही बढ़ता जा रहा है।

निफ्टी 50 कैसे काम करता है

निफ्टी और सेंसेक्स क्यों बढ़ते हैं? क्या यह भविष्य में भी ऐसे ही बढ़ते रहेंगे? जानिए इसके पीछे की वजहें और शेयर बाजार की ग्रोथ का असली राज इस आसान और सरल भाषा में!

असल में निफ्टी और सेंसेक्स शेयर बाजार की उन बड़ी-बड़ी कंपनियों का समूह है, जो देश की इकोनॉमी की सेहत को दर्शाता है। जब देश की इकोनॉमी ग्रोथ करती है, बिजनेस बढ़ता है, कंपनियों के प्रॉफिट में इज़ाफा होता है — तो उनके शेयर की कीमत भी बढ़ती है।

जैसे-जैसे कंपनियों का बिजनेस मजबूत होता है, वैसे-वैसे उनके स्टॉक्स की वैल्यू बढ़ती है और इसी वजह से निफ्टी और सेंसेक्स भी ऊपर चढ़ते हैं। इसके अलावा भारत जैसे विकासशील देश में निवेश और खपत लगातार बढ़ रही है, जिससे मार्केट में पॉजिटिव सेंटिमेंट बना रहता है।

आइये अब समझते हैं –

देश की इकॉनमी का शेयर मार्केट पर क्या प्रभाव पड़ता है?

अगर आप ध्यान दें तो हर साल हमारे आसपास बहुत कुछ बदलता नजर आता है — महंगाई बढ़ती है, नई टेक्नोलॉजी लॉन्च होती है, और हर शहर में कहीं न कहीं मेट्रो, हाईवे, अस्पताल जैसे प्रोजेक्ट्स खड़े हो रहे हैं। ये सब संकेत हैं कि देश की इकोनॉमी रफ्तार पकड़ रही है।

जब किसी देश की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ती है, तो वहां का शेयर मार्केट भी उसी दिशा में बढ़ता है। निफ्टी और सेंसेक्स का लगातार ऊपर जाना इसी ग्रोथ का सीधा उदाहरण है।

एक समय था जब ज्यादातर लोग अपनी बचत सिर्फ गोल्ड और फिक्स्ड डिपॉजिट में ही लगाते थे, लेकिन अब निवेश की सोच बदल चुकी है। लोग अब स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स और बॉन्ड्स जैसे नए फाइनेंशियल टूल्स में भी पैसा लगा रहे हैं। यही वजह है कि शेयर बाजार में हर साल नए निवेशक जुड़ते जा रहे हैं, जिससे निफ्टी और सेंसेक्स में भी मजबूती देखने को मिलती है।

सच्चाई ये है कि जैसे-जैसे देश तरक्की करता है और लोगों की इनकम बढ़ती है, वैसे-वैसे उनकी निवेश करने की सोच भी परिपक्व होती जाती है। इसी सोच का नतीजा है कि शेयर बाजार का दायरा हर साल बड़ा होता जा रहा है और लंबी अवधि में बाजार नई ऊंचाइयों को छू रहा है।

FAQs releted share market kaise kaam karta hai

आखिर शेयर मार्केट कैसे काम करता है?

शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के नियम पर चलता है। जब किसी शेयर की मांग ज्यादा होती है तो उसका प्राइस बढ़ता है और जब बिकवाली ज्यादा होती है तो उसका प्राइस गिरता है। यह पूरी प्रक्रिया NSE और BSE जैसे स्टॉक एक्सचेंज के ज़रिए होती है।

शेयर का भाव ऊपर-नीचे कैसे होता है?

शेयर का भाव (Stock Price) पूरी तरह से मांग और आपूर्ति यानी Demand & Supply पर निर्भर करता है। जब किसी शेयर को खरीदने वाले लोगों की संख्या ज्यादा होती है, यानी Demand बढ़ती है — तो उस शेयर का दाम अपने आप बढ़ जाता है। वहीं अगर ज्यादा लोग उस शेयर को बेचने लगते हैं और खरीदार कम होते हैं, तो उस शेयर का प्राइस गिरने लगता है।

सेंसेक्स और निफ्टी में उतार-चढ़ाव कैसे होता है?

सेंसेक्स और निफ्टी में उतार-चढ़ाव शेयर बाजार की स्थिति और निवेशकों की भावनाओं पर निर्भर करता है। जब बाजार में कोई पॉजिटिव न्यूज़ आती है — तो निवेशक शेयर खरीदना शुरू कर देते हैं, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी ऊपर चढ़ने लगते हैं।
वहीं अगर किसी तरह की नेगेटिव खबर तो निवेशक शेयर बेचने लगते हैं और इसी वजह से सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट देखने को मिलती है। इसलिए उतार-चढ़ाव बाजार का एक सामान्य और रोज़ाना का हिस्सा है।

शेयर मार्केट को कौन ऑपरेट करता है?

शेयर बाजार को मुख्य रूप से SEBI (Securities and Exchange Board of India) संचालित करता है। SEBI एक सरकारी एजेंसी है जो शेयर बाजार को रेगुलेट करती है.
हालांकि, कुछ लोग होते हैं जो शेयर के दाम को जानबूझकर बढ़ा या घटा सकते हैं। इन व्यक्तियों को “Market Operators” कहा जाता है, जो किसी खास शेयर का प्राइस अचानक से ऊपर-नीचे कर सकते हैं। ऐसे ऑपरेटरों से बचकर रहना बहुत जरूरी है |

IPO क्या होते हैं?

जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर आम लोगों को बेचती है, तो उसे IPO यानी Initial Public Offering कहा जाता है। इसके ज़रिए कंपनी बाजार से फंड जुटाती है और पब्लिक को अपनी हिस्सेदारी बेचती है।

सेंसेक्स और निफ्टी क्या होते हैं?

ये दोनों प्रमुख स्टॉक इंडेक्स हैं जो शेयर बाजार की दिशा को दर्शाते हैं।

उम्मीद है अब आपको अच्छी समझ आ गई होगी कि आखिर शेयर बाजार कैसे काम करता है। इस पोस्ट में मैंने कोशिश की है कि आपको Stock Market क्या है और कैसे चलता है (How Stock Market Works in Hindi) इसकी पूरी जानकारी एकदम आसान और सरल भाषा में समझा सकूं।

साथ ही इस आर्टिकल में मैंने न सिर्फ Nifty और Sensex का मतलब बताया है, बल्कि Stock Exchange और IPO जैसे टॉपिक्स को भी आसान उदाहरणों के ज़रिए समझाने का प्रयास किया है। ताकि चाहे आप नए निवेशक हों या शेयर बाजार के बारे में पहली बार पढ़ रहे हों — आपको हर टॉपिक बिल्कुल क्लियर हो सके।

अगर आप शेयर बाजार को सही मायनों में समझना चाहते हैं, तो हमारे ब्लॉग के अन्य लेख भी जरूर पढ़ें। हम समय-समय पर  YouTube Channel पर ऐसे विषयों पर जानकारी साझा करते हैं जो आपको स्टॉक्स की गहराई, मार्केट के व्यवहार और इन्वेस्टमेंट से जुड़ी सोच को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेंगे।”

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