सपोर्ट और रेजिस्टेंस क्या है? | Support and Resistance kya hai in Hindi |What is Support and Resistance in Hindi? | Support and Resistance in Trading |Support Resistance ka matlab |सपोर्ट और रेजिस्टेंस कैसे बनता है | सपोर्ट और रेजिस्टेंस strategy | सपोर्ट और रेजिस्टेंस चार्ट पैटर्न | सपोर्ट और रेजिस्टेंस example | सपोर्ट और रेजिस्टेंस लाइन कैसे खींचे | सपोर्ट और रेजिस्टेंस ट्रेडिंग में फायदे |Support & Resistance in Stock Market | How to Identify Support and Resistance in Trading Hindi | सपोर्ट और रेजिस्टेंस ट्रेड करके पैसे कैसे कमाए?
सपोर्ट और रेजिस्टेंस क्या है? : शेयर मार्केट में सपोर्ट (Support) वह स्तर है जहाँ गिरती हुई कीमत रुककर ऊपर उछलने लगती है, जबकि रेजिस्टेंस (Resistance) वह स्तर है जहाँ बढ़ती हुई कीमत रुककर नीचे गिरने लगती है।
अगर आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करते हैं तो सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल को समझना बहुत जरूरी है, क्योंकि ये लेवल बताते हैं कि प्राइस कहाँ रुक सकता है और कहाँ से पलट सकता है। यही कारण है कि ज्यादातर बड़े ट्रेडर्स चार्ट पर सपोर्ट और रेजिस्टेंस देखकर ही एंट्री और एग्ज़िट का फैसला लेते हैं। टेक्निकल एनालिसिस पर पिछले लेख में हमने बारीकी से बातें की थीं, और अब बारी है सपोर्ट और रेजिस्टेंस को विस्तार से जानने की, तो आज हम जानेंगे “सपोर्ट और रेजिस्टेंस क्या है? Stock Market में Support & Resistance समझें (Hindi Guide)”।तो आइये जान लेते –
- सपोर्ट और रेजिस्टेंस क्या है? – शेयर मार्केट और ट्रेडिंग में सपोर्ट लेवल और रेजिस्टेंस लेवल का सही मतलब समझें।
- सपोर्ट और रेजिस्टेंस कैसे काम करते हैं? – प्राइस मूवमेंट में इन लेवल्स की भूमिका और ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी पर उनका असर जानें।
- चार्ट पर सपोर्ट और रेजिस्टेंस कैसे पहचानें? – Technical Analysis के जरिए सपोर्ट और रेजिस्टेंस लाइन खींचने और लेवल खोजने का आसान तरीका।
- निफ्टी और बैंक निफ्टी में सपोर्ट–रेजिस्टेंस का उपयोग कैसे करें? – इंडेक्स ट्रेडिंग में सही Entry–Exit के लिए सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल का प्रयोग।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस क्या हैं – What is Support and Resistance in Hindi?
शेयर मार्केट में सपोर्ट और रेजिस्टेंस एक ऐसा महत्वपूर्ण कॉन्सेप्ट है जो ट्रेडर्स को यह समझने में मदद करता है कि किसी स्टॉक या इंडेक्स का buying zone और selling zone कहाँ हो सकता है। आसान शब्दों में, चार्ट पर कुछ खास लेवल ऐसे होते हैं जहाँ पर प्राइस रुककर फिर से दिशा बदल देता है। जब कोई स्टॉक नीचे गिरते हुए किसी स्तर से बार-बार संभल जाता है तो उसे सपोर्ट लेवल कहा जाता है, वहीं जब वही स्टॉक ऊपर जाते-जाते किसी स्तर पर रुककर नीचे आने लगता है तो उसे रेजिस्टेंस लेवल कहा जाता है। इन लेवल्स की पहचान करके ट्रेडर्स सही entry और exit का फैसला ले पाते हैं।सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल की पहचान करके कोई भी ट्रेडर सही समय पर entry और exit कर सकता है और अपने मुनाफे की संभावना बढ़ा सकता है।
सपोर्ट और रजिस्टेंस किसे कहते हैं?
शेयर मार्केट में प्राइस हमेशा सीधी दिशा में नहीं चलता, बल्कि कुछ खास लेवल पर रुककर पलटता है। इन्हीं लेवल्स को Support और Resistance कहा जाता है।
आसान परिभाषा :
- सपोर्ट लेवल (Support Level): वह स्तर जहाँ गिरती हुई कीमत रुककर बार-बार ऊपर उछलती है।
- रेजिस्टेंस लेवल (Resistance Level): वह स्तर जहाँ बढ़ती हुई कीमत रुककर बार-बार नीचे गिरती है।
- इन लेवल्स को पहचानकर ट्रेडर चार्ट पर buying zone और selling zone तय कर पाता है।
📊 सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल – तुलना तालिका
पहलू | सपोर्ट (Support) | रेजिस्टेंस (Resistance) |
---|---|---|
दिशा (Price Action) | प्राइस नीचे से रुककर ऊपर जाता है | प्राइस ऊपर से रुककर नीचे आता है |
ट्रेडिंग ज़ोन | Buying Zone | Selling Zone |
संकेत (Signal) | मांग (Demand) अधिक | आपूर्ति (Supply) अधिक |
उदाहरण | किसी स्टॉक का ₹100 पर बार-बार टिकना | उसी स्टॉक का ₹120 पर बार-बार रुकना |
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ट्रेडिंग में सपोर्ट और रेजिस्टेंस क्यों जरूरी है?
Why support and resistance level is important in trading: सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल टेक्निकल एनालिसिस का एक अहम हिस्सा हैं। इन लेवल्स पर पहले से ही हजारों ट्रेडर्स अपनी buying और selling positions बना चुके होते हैं। इसी वजह से जब भी प्राइस इन स्तरों के पास पहुंचता है, तो वहां से मार्केट में तेज़ मूवमेंट देखने को मिलता है।सपोर्ट और रेजिस्टेंस की Importance
इन लेवल्स पर demand और supply का असली बैलेंस देखने को मिलता है।
प्राइस कई बार इन्हीं स्तरों से पलटता है, जिससे traders को सही entry–exit का मौका मिलता है।
ये zones short-term trading और long-term investing दोनों में decision-making आसान करते हैं।
📊 Breakout और Breakdown को समझें
- जब प्राइस रेजिस्टेंस लेवल को बार-बार टेस्ट करने के बाद अंत में ऊपर चला जाता है, तो इसे Breakout कहते हैं। इससे मार्केट में तेजी (Bullish Trend) और एक बड़ा upside move देखने को मिलता है।
- वहीं, जब प्राइस सपोर्ट लेवल को तोड़कर नीचे गिरता है, तो इसे Breakdown कहा जाता है। इसका असर मार्केट में गिरावट (Bearish Trend) और एक मजबूत downside move के रूप में दिखता है।
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📊 उदाहरण (Easy to Understand)
मान लीजिए किसी स्टॉक की कीमत ₹500 से ऊपर जाते ही बार-बार रुक जाती है — इसका मतलब है कि वहाँ पर sellers एक्टिव हैं और यह उसका रेजिस्टेंस लेवल है।
दूसरी तरफ, वही स्टॉक ₹450 पर आते ही बार-बार संभल जाता है — यह उसका सपोर्ट लेवल कहलाएगा।
अगर प्राइस ₹500 के ऊपर निकल जाता है, तो हमें नए buyers जुड़ते दिखेंगे और मार्केट में तेजी आ सकती है। जबकि अगर ₹450 का लेवल टूट जाता है, तो panic selling शुरू हो सकती है और प्राइस और नीचे जा सकता है।
⚡ याद रखो — जब कोई सपोर्ट या रेजिस्टेंस लेवल मजबूत होता है, तो उसके टूटते ही मार्केट का मूव उतना ही विस्फोटक और तेज़ होता है — ऊपर या नीचे दोनों दिशाओं में।
स्ट्रॉन्ग सपोर्ट और रेजिस्टेंस क्या होते हैं?
स्ट्रॉन्ग सपोर्ट या रेजिस्टेंस वह लेवल होता है, जहां से प्राइस एक-दो बार नहीं बल्कि कई बार (4–5 या उससे अधिक बार) टकराकर बार-बार पलटा हो। इसका मतलब है कि उस लेवल पर buyers या sellers की बहुत बड़ी संख्या सक्रिय है।
👉 जब भी प्राइस ऐसे major support या resistance level को तोड़ देता है, तो अक्सर मार्केट में बड़ा मूव देखने को मिलता है — चाहे वह uptrend हो या downtrend।
आसान शब्दों में कहें तो, सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल का रोल बदलता रहता है। Resistance टूटने पर वह support बन सकता है, और support टूटने पर वह resistance बन जाता है। यही कारण है कि इन levels को समझना हर ट्रेडर के लिए बेहद ज़रूरी है।
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Support and Resistance Example in Hindi [सपोर्ट और रेजिस्टेंस क्या है?]

अब इसे एक आसान उदाहरण से समझते हैं—
मान लीजिए Bank Nifty इस समय 45,000 पॉइंट पर ट्रेड कर रहा है।
- जब-जब यह 46,000 लेवल के पास जाता है तो वहां से नीचे गिरने लगता है और उस लेवल को पार नहीं कर पाता। इसका मतलब है कि 46,000 उसका Resistance Level है।
- दूसरी तरफ, जब भी यह 44,000 लेवल के पास आता है, तो वहां से बार-बार ऊपर उछल जाता है। इसका मतलब है कि 44,000 उसका Support Level है।
👉 आसान शब्दों में कहें तो Resistance वह लेवल है जहां sellers ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं, और Support वह लेवल है जहां buyers प्राइस को संभाल लेते हैं।
Trading Chart पर Support–Resistance को कैसे मार्क करें? How to Identify Support and Resistance in Trading Hindi
ट्रेडिंग चार्ट पर सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल को सही तरीके से मार्क करना हर ट्रेडर के लिए जरूरी है, क्योंकि यही लेवल आपको एंट्री और एग्जिट का सही समय बताते हैं। नीचे दिए गए स्टेप्स की मदद से आप आसानी से समझ पाएंगे कि मार्केट में सपोर्ट और रेजिस्टेंस कैसे पहचानें।
Support and Resistance kaise nikale
नीचे दिए गए पॉइंट्स आपको सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल निकालने का सही तरीका बताएंगे-
1. स्टॉक का चार्ट ओपन करें
- सबसे पहले उस स्टॉक या इंडेक्स का चार्ट खोलें जिसमें आप ट्रेडिंग करना चाहते हैं। मान लीजिए आप Nifty, Bank Nifty या कोई स्टॉक ट्रैक कर रहे हैं—तो उसका चार्ट खोलना ज़रूरी है।
- इसके लिए आप अपने ब्रोकर की मोबाइल ऐप (जैसे Zerodha, Upstox, Groww) का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर आसानी से TradingView जैसी वेबसाइट पर जाकर भी चार्ट देख सकते हैं।
2. सही Time Frame चुनें
जब भी आप किसी स्टॉक का चार्ट खोलते हैं तो पहला काम होता है टाइम फ्रेम सेलेक्ट करना। यही टाइम फ्रेम आपको यह बताता है कि मार्केट की चाल को आपको कितने समय के नज़रिए से देखना है।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल है – किस तरह की ट्रेडिंग के लिए कौन सा टाइम फ्रेम सही रहेगा?
आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
🔹 Swing Trading के लिए सही टाइम फ्रेम
अगर आप स्विंग ट्रेडिंग कर रहे हैं यानी किसी शेयर को कुछ दिन या हफ्तों के लिए होल्ड करना चाहते हैं, तो आपके लिए डेली (1 Day) टाइम फ्रेम सबसे अच्छा रहेगा।
👉 उदाहरण के लिए –
मान लीजिए आप Infosys या Maruti Suzuki जैसे स्टॉक का बड़ा ट्रेंड पकड़ना चाहते हैं।
तो आपको 1 Day टाइम फ्रेम पर चार्ट ओपन करना चाहिए। इससे आपको साफ नज़र आएगा कि मार्केट अभी किस ट्रेंड में है – ऊपर की ओर (Uptrend) या नीचे की ओर (Downtrend)।
फायदा यह है कि बड़े टाइम फ्रेम पर आपको सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल्स ज्यादा क्लियर दिखते हैं।
इससे आप आसानी से तय कर सकते हैं कि एंट्री और एग्ज़िट प्वाइंट कहाँ रखना है।
याद रखिए – स्विंग ट्रेडिंग का मतलब है कि आप आज खरीदेंगे और शायद 1 हफ्ते, 1 महीने या उससे भी ज्यादा टाइम बाद बेचेंगे।
🔹 Intraday Trading के लिए सही टाइम फ्रेम
अब बात आती है इंट्राडे ट्रेडिंग की, जहाँ आप शेयर को उसी दिन खरीदते और बेचते हैं।
यहाँ अगर आप 1 Day टाइम फ्रेम इस्तेमाल करेंगे, तो आपको काम की जानकारी नहीं मिलेगी क्योंकि यह सिर्फ बड़े ट्रेंड दिखाता है।
👉 Intraday Trading के लिए 5 Minute या 15 Minute टाइम फ्रेम सबसे बेस्ट है।
जैसे मान लीजिए आप Tata Steel या ICICI Bank में डे-ट्रेडिंग करना चाहते हैं।
तो छोटे-छोटे टाइम फ्रेम पर आपको रियल-टाइम मूवमेंट और छोटे सपोर्ट-रेजिस्टेंस दिखाई देंगे, जिससे आप तुरंत Buy या Sell का निर्णय ले पाएंगे।
🔹 Option Trading के लिए सही टाइम फ्रेम कैसे चुनें
ऑप्शन ट्रेडिंग में सही टाइम फ्रेम का चुनाव करना बेहद जरूरी है। गलत टाइम फ्रेम पर चार्ट देखने से आपका ट्रेडिंग निर्णय गलत हो सकता है और नुकसान हो सकता है।
Option ट्रेडिंग के लिए टाइम फ्रेम इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितने समय के लिए ऑप्शन में निवेश कर रहे हैं।
🔹 Short-Term / Intraday Option Trading
अगर आप इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग कर रहे हैं यानी उसी दिन किसी कॉल या पुट ऑप्शन को खरीद कर बेच रहे हैं, तो छोटे टाइम फ्रेम जैसे:
- 5 मिनट का चार्ट
- 15 मिनट का चार्ट
सबसे उपयुक्त होते हैं।
उदाहरण के लिए – मान लीजिए आप Reliance कॉल ऑप्शन में आज ट्रेड कर रहे हैं। 5 या 15 मिनट का चार्ट देखकर आपको रियल-टाइम मूवमेंट का पता चलता है और आप जल्दी निर्णय ले सकते हैं।
🔹 Medium-Term / Expiry तक होल्ड करने वाले Options
अगर आप ऑप्शन को अगले दिन या एक्सपायरी डेट तक होल्ड करना चाहते हैं, तो आपको बड़ा टाइम फ्रेम इस्तेमाल करना चाहिए, जैसे:
- 30 मिनट का चार्ट
- 1 Hour का चार्ट
- 2 Hour का चार्ट
इससे आपको मार्केट का बड़ा ट्रेंड समझने में मदद मिलेगी और सही एंट्री/एग्जिट पॉइंट पकड़ना आसान होगा।
👉 ध्यान रखें: हमेशा पहले तय करें कि आप किस प्रकार की ऑप्शन ट्रेडिंग कर रहे हैं और उसके अनुसार चार्ट पर सही टाइम फ्रेम लगाएँ। इससे आप मार्केट की दिशा को आसानी से समझ पाएंगे और अपने ट्रेडिंग निर्णय बेहतर बना सकेंगे।
लेकिन आखिर टाइम फ्रेम कैसे चुनें?
नए ट्रेडर्स अक्सर सोचते हैं – “चार्ट पर सही टाइम फ्रेम कैसे सिलेक्ट करें?”
जब आप किसी भी स्टॉक या इंडेक्स का चार्ट खोलेंगे, तो चार्ट के ऊपर की तरफ टाइम फ्रेम ऑप्शन दिखाई देंगे। यह आमतौर पर कुछ इस तरह दिखता है:
1M, 5M, 15M, 30M, 1H, 1D, 1W

यहां हर ऑप्शन का मतलब होता है कि चार्ट में हर कैन्डल या बार कितने समय के लिए है।
मान लीजिए आप Tata Motors का चार्ट देख रहे हैं।
- अगर आप Intraday ट्रेडिंग कर रहे हैं, तो आप 5M या 15M टाइम फ्रेम चुनेंगे।
- अगर आप Swing ट्रेडिंग कर रहे हैं, यानी स्टॉक को कुछ दिन या हफ्तों के लिए होल्ड करना चाहते हैं, तो 1D या 1W टाइम फ्रेम सबसे उपयुक्त रहेगा।
चार्ट पर मौजूद टाइम फ्रेम में से किसी एक पर क्लिक करके आप अपनी जरूरत के अनुसार टाइम फ्रेम सेलेक्ट कर सकते हैं।
- 1M → 1 मिनट का चार्ट
- 5M → 5 मिनट का चार्ट
- 15M → 15 मिनट का चार्ट
- 30M → 30 मिनट का चार्ट
- 1H → 1 घंटे का चार्ट
- 1D → 1 दिन का चार्ट
- 1W → 1 हफ़्ते का चार्ट
- और अगर कहीं 1M फिर से दिखे तो वह 1 महीने का चार्ट होगा।
👉 उदाहरण के लिए – मान लीजिए आप Reliance Industries का चार्ट देख रहे हैं और आपका प्लान है कि आज के दिन के अंदर ही ट्रेडिंग करनी है।
तो आप 5M या 15M टाइम फ्रेम चुनेंगे। अगर आप इसे अगले कुछ दिन या हफ्तों तक होल्ड करना चाहते हैं, तो 1D या 1W टाइम फ्रेम सही रहेगा।
अब तक आपने क्या किया
- चार्ट ओपन कर लिया
- सही टाइम फ्रेम सिलेक्ट कर लिया
और अब अगला स्टेप है – सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल मार्क करना।
3. सपोर्ट और रेजिस्टेंस जोन Mark करें
अब आपको अपने चार्ट पर ध्यान से नजर डालना होगा। चार्ट को अच्छे से देखने पर आप कुछ ऐसे पॉइंट्स पहचानेंगे, जहां प्राइस बार-बार रुकने के बजाय पलटकर नीचे गिरता है। यानी ये वो लेवल हैं, जहां प्राइस किसी खास सीमा को पार नहीं कर पाता और बार-बार नीचे की ओर लौटता है।

सपोर्ट और रेजिस्टेंस को चार्ट पर कैसे पहचानें
जब आप चार्ट को ध्यान से देखेंगे, तो आपको कुछ ऐसे पॉइंट्स नजर आएंगे जहां प्राइस बार-बार रुकने या पलटने लगता है। ये वही लेवल हैं जो मार्केट में सपोर्ट और रेजिस्टेंस की भूमिका निभाते हैं।
🔹 रेजिस्टेंस का उदाहरण
मान लीजिए किसी शेयर की कीमत ऊपर की तरफ बढ़ रही थी, लेकिन अचानक ₹2,500 के लेवल पर जाकर नीचे उतरने लगी।
- इसके बाद प्राइस फिर से ऊपर आया, लेकिन वही लेवल पार नहीं कर पाया और दोबारा नीचे गिरा।
- तीसरी बार भी प्राइस उसी लेवल को छूकर नीचे आया।
इस स्थिति में यह ₹2,500 का लेवल मार्केट में एक मजबूत रेजिस्टेंस बन जाता है। इसका मतलब है कि वहां बेचने वाले ज्यादा सक्रिय हैं और प्राइस ऊपर नहीं जा पा रहा।
🔑 Key Insight
जब भी प्राइस किसी सपोर्ट या रेजिस्टेंस लेवल को टच करता है, वहाँ से रिवर्स होने की संभावना ज्यादा होती है।
अगर प्राइस उस लेवल को पार कर जाता है यानी ब्रेकआउट होता है, तो जिस दिशा में ब्रेकआउट होता है, वहाँ बड़ा मूव देखने को मिल सकता है।
इसलिए चार्ट पर इन लेवल्स को पहचानना और उन्हें ध्यान में रखकर ट्रेडिंग करना बहुत जरूरी है।
👉 सपोर्ट और रेजिस्टेंस से ट्रेडिंग में कैसे फायदा उठाएं
चाहे कोई स्टॉक सपोर्ट और रेजिस्टेंस के बीच घूम रहा हो या फिर ब्रेकआउट कर रहा हो, एक स्मार्ट ट्रेडर हमेशा सही समय पर entry और exit लेकर प्रॉफिट कमा सकता है। 😎
चार्ट पर इन लेवल्स को पहचानकर और ड्रॉ करके आप भी ट्रेडिंग से पैसे कमा सकते हैं।
लेकिन उससे पहले जानना जरूरी है कि चार्ट पर सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल पहचानने का आखिरी स्टेप क्या है, ताकि आप सही पॉइंट्स पर ट्रेड कर सकें।
4. ट्रेंड लाइन खीचें
ट्रेंडलाइन क्या है और यह सपोर्ट–रेजिस्टेंस कैसे बताती है? : ट्रेंडलाइन (Trendline) का मतलब है चार्ट पर एक सीधी लाइन खींचना जो कैंडलस्टिक के highs या lows को आपस में जोड़ती है। जब आप किसी स्टॉक या इंडेक्स का चार्ट खोलते हैं, तो उसमें आपको कई तरह के चार्ट पैटर्न और कैंडलस्टिक पैटर्न दिखाई देंगे, और इन्हें समझने में ट्रेंडलाइन का बहुत बड़ा रोल होता है।
👉 ट्रेडिंग में ट्रेंडलाइन क्यों जरूरी है?
- ट्रेंडलाइन खींचने से आपको सही Entry और Exit Point मिलते हैं।
- इससे आप आसानी से Stop Loss और Target Level तय कर सकते हैं।
- सबसे महत्वपूर्ण बात, इसी ट्रेंडलाइन की मदद से आप Support और Resistance Level भी पहचान सकते हैं।
यानी कि अगर आप मार्केट का असली मूव समझना चाहते हैं और सही समय पर ट्रेडिंग करना चाहते हैं, तो Trendline Analysis को सीखना बेहद ज़रूरी है।
चार्ट पर ट्रेंडलाइन कैसे खींचें? (How to Draw Trendline in Hindi)
ट्रेडिंग में सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल पहचानने का सबसे आसान तरीका है ट्रेंडलाइन (Trendline) खींचना। चाहे आप TradingView का इस्तेमाल कर रहे हों या किसी भी ब्रोकरेज एप (Zerodha, Upstox, Groww आदि), हर चार्टिंग प्लेटफॉर्म पर यह सुविधा उपलब्ध होती है।
और एग्जिट पॉइंट समझ सकते हैं।

जब आप चार्ट ओपन करेंगे, तो ऊपर के Tools सेक्शन में आपको Trendline Tool या सीधी लाइन (—) का आइकन दिखेगा।
- उस पर क्लिक करें और चार्ट पर लेफ्ट से राइट की ओर एक लाइन खींचें।
- अगर आप Support Level पहचानना चाहते हैं तो प्राइस के निचले हिस्से (जहां-जहां प्राइस बार-बार रुकता है) को जोड़ें।
- वहीं, Resistance Level समझने के लिए प्राइस के ऊपरी हिस्सों (जहां प्राइस कई बार टकराकर नीचे आया हो) को कनेक्ट करें।
👉 इस तरह Trendline खींचकर आप आसानी से Support and Resistance Indicator in Hindi के आधार पर सही एंट्री और एग्जिट पॉइंट समझ सकते हैं।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस को चार्ट पर कैसे पहचानें? (VBL स्टॉक का उदाहरण):
मान लीजिए, VBL का शेयर जब भी ₹523 तक पहुंचता है तो बार-बार नीचे गिरना शुरू कर देता है। इसका मतलब है कि ₹523 इस स्टॉक का एक Resistance Level है।
इसी तरह, जब भी VBL का शेयर लगभग ₹474 तक गिरता है तो वहीं से ऊपर जाना शुरू कर देता है। इसका अर्थ है कि ₹474 इस स्टॉक का एक मजबूत Support Level है।
अब अगर आप VBL के स्टॉक का चार्ट खोलकर Trendline खींचना चाहते हैं, तो आपको चार्ट पर ₹523 (रेज़िस्टेंस) और ₹474 (सपोर्ट) पर Horizontal Line (क्षैतिज रेखा) बनानी होगी। इससे आपको आसानी से समझ आ जाएगा कि स्टॉक किन लेवल्स पर रुकने और पलटने की संभावना रखता है।

👉 अब तक आपने चार्ट पर सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल की पहचान करना सीख लिया है। लेकिन केवल लेवल्स पहचानना ही काफी नहीं है—असल मायने तो तब है जब आप इन्हें सही तरीके से इस्तेमाल करके ट्रेडिंग से प्रॉफिट कमा सकें। इसके लिए आपको इस आर्टिकल के अगले हिस्से को ध्यान से पढ़ना होगा, जहाँ हम समझेंगे कि इन लेवल्स का इस्तेमाल करके एंट्री और एग्जिट कैसे प्लान किया जाता है।
सपोर्ट और रजिस्टेंस लेवल कैसे उपयोग करें (How to use support and resistance in hindi)
ट्रेडिंग में लगातार प्रॉफिट कमाने के लिए Support और Resistance Level को सही तरीके से इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है। चलिए इसे step-by-step समझते हैं:
✅ सपोर्ट और रेजिस्टेंस यूज़ करने के स्टेप्स
- सबसे पहले उस स्टॉक या इंडेक्स का चार्ट खोलें और Trendline खींचकर सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल मार्क करें।
- जब भी प्राइस किसी Support Level से टकराकर ऊपर जाने लगे, तो यह आपके लिए Buy Signal होगा यानी एंट्री का सही मौका।
- Buy करते समय हमेशा Stop Loss सपोर्ट लेवल के ठीक नीचे लगाएं ताकि अचानक गिरावट में आपका नुकसान कंट्रोल हो सके।
- आपका Target Resistance Level होना चाहिए, यानी जैसे ही प्राइस रेजिस्टेंस के पास जाए और नीचे की ओर मूव करना शुरू करे, तो Sell करके Exit लें और प्रॉफिट बुक करें।
मान लीजिए आप Infosys Stock का चार्ट देख रहे हैं।
- आपको दिखता है कि Infosys का Support Level ₹1,200 पर है और Resistance Level ₹1,350 पर है।
- अब मान लीजिए स्टॉक का प्राइस धीरे-धीरे गिरकर ₹1,210 तक पहुंच गया है और ₹1,200 के पास आते ही ऊपर की ओर रुककर bounce करने लगता है।
- ऐसे में आपको वहीं पर Buy Entry लेनी चाहिए।
- Stop Loss ₹1,190 (Support से नीचे) पर सेट करें ताकि प्राइस टूटने पर नुकसान कम हो।
- और आपका Target ₹1,350 (Resistance) होगा क्योंकि वहां sellers एक्टिव हो जाते हैं और प्राइस रुकने लगता है।
👉 इस तरह सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल को समझकर आप भी चार्ट से सही Entry, Stoploss और Target निकाल सकते हैं और लगातार प्रॉफिट कमा सकते हैं।
अब तक हमने यह समझा कि सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल का उपयोग डिलीवरी ट्रेडिंग या फिर बड़े टाइमफ्रेम (जैसे डेली या वीकली चार्ट) में कैसे किया जाता है।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस से ट्रेडिंग कैसे करें? (Support and Resistance in Trading Hindi) : लेकिन क्या आप जानते हैं कि Intraday Trading, Options Trading और Scalping Trading में भी सपोर्ट और रेजिस्टेंस का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है?
दरअसल, छोटे-छोटे प्राइस मूवमेंट्स को पकड़कर भी ट्रेडर्स अच्छा-खासा मुनाफा कमा लेते हैं।
Scalping और Short-Term Trading में Support Resistance का महत्व : इंट्राडे या स्कैल्पिंग करने वाले ट्रेडर्स का लक्ष्य बहुत बड़ा प्रॉफिट कमाना नहीं होता, बल्कि छोटे-छोटे प्राइस मूवमेंट से लगातार गेन बनाना होता है।
मान लीजिए किसी स्टॉक का प्राइस 1,200 रुपये पर चल रहा है। एक स्कैल्पर इसे खरीदता है और जैसे ही प्राइस 1,204–1,205 रुपये तक जाता है, तुरंत बेच देता है। यानी सिर्फ 4–5 रुपये की हलचल से भी वह मुनाफा कमा लेता है।
अब अगर वह ट्रेडर एक बार में 500 शेयर खरीदता है, तो सिर्फ 5 रुपये की मूवमेंट पर भी उसे ₹2,500 का प्रॉफिट मिल सकता है।
यही कारण है कि सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल को सही तरीके से पहचानकर High Quantity Trading करने वाले ट्रेडर्स कम समय में भी अच्छा रिटर्न बना लेते हैं।
तो अब आप समझ ही गए होंगे कि Support और Resistance Levels का सही तरीके से उपयोग करके कैसे अलग-अलग प्रकार की ट्रेडिंग (डिलीवरी, इंट्राडे, ऑप्शन या स्कैल्पिंग) में प्रॉफिट कमाया जा सकता है।

याद रखें, चार्ट पर इन लेवल्स को सही ढंग से पहचानना ही आपके ट्रेडिंग रिजल्ट्स को 10 गुना बेहतर बना सकता है।
निफ्टी और बैंक निफ्टी में सही Support और Resistance लेवल कैसे तय करें?
स्टॉक मार्केट में सिर्फ शेयर ही नहीं बल्कि Nifty और Bank Nifty जैसे इंडेक्स भी ट्रेडर्स के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। खासकर वे लोग जो ऑप्शन ट्रेडिंग (Options Trading in Hindi) करते हैं, उनके लिए सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल जानना जरूरी हो जाता है।
दरअसल, जब आप Nifty, BankNifty या Finnifty के Call और Put ऑप्शंस में ट्रेड करते हैं, तो सही Support और Resistance Levels आपके Entry, Exit और Stop Loss तय करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। यही कारण है कि इन इंडेक्स के सपोर्ट और रेजिस्टेंस को पहचानना हर ऑप्शन ट्रेडर के लिए जरूरी है।
Nifty के support and resistance level कैसे पता करें?
अगर आप Nifty Trading करते हैं, चाहे वह Intraday Trading, Swing Trading या फिर Options Trading क्यों न हो, तो सही Support और Resistance Levels को पहचानना बेहद ज़रूरी है। इनके जरिए आप सही एंट्री और एग्ज़िट पॉइंट चुन सकते हैं और अपने ट्रेड को सुरक्षित बना सकते हैं।
नीचे स्टेप-बाय-स्टेप तरीका दिया गया है जिससे आप आसानी से Nifty Support और Resistance Levels पता कर सकते हैं –
🔹 स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
- सबसे पहले Nifty का चार्ट ओपन करें।
- इसके लिए आप Upstox, Zerodha, Groww, Angel One जैसे किसी भी ब्रोकरेज एप का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- इसके अलावा, आप TradingView Website पर भी Nifty का चार्ट देख सकते हैं।
- अब Time Frame Select करें (जैसे 15 मिनट, 1 घंटा या 1 दिन) ताकि आपको सही लेवल्स दिखाई दें।
- चार्ट को ध्यान से देखें और यह नोट करें कि किस लेवल से बार-बार प्राइस ऊपर जाता है (Support Level) और किस लेवल से बार-बार प्राइस गिरता है (Resistance Level)।
- उन Levels पर एक Trendline Draw करें ताकि आपको क्लियर सपोर्ट और रेजिस्टेंस ज़ोन मिल सके।
- अब इन लेवल्स को ट्रेडिंग के लिए इस्तेमाल करें।
स्थिति (Condition) | ट्रेडिंग एक्शन (Trading Action) | ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading) |
---|---|---|
प्राइस Resistance Level को टच करके नीचे गिरना शुरू करे | Sell/Exit Position | Put Option खरीदें (Target = Support Level) |
प्राइस Support Level से ऊपर बढ़ना शुरू करे | Buy/Entry Position | Call Option खरीदें (Target = Resistance Level) |
BankNifty के support and resistance level कैसे पता करें?
अगर आप BankNifty Trading करते हैं तो यह समझना बेहद जरूरी है कि इसके Support और Resistance Levels कहाँ हैं। क्योंकि BankNifty में प्राइस मूवमेंट अक्सर बहुत तेज़ (High Volatility) होता है और सही लेवल्स पहचानकर ही आप सुरक्षित और प्रॉफिटेबल ट्रेड कर सकते हैं।
BankNifty के सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल पता करने की प्रक्रिया लगभग Nifty जैसी ही होती है। आइए इसे स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं –
🔹 स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
- BankNifty का चार्ट ओपन करें
- आप Zerodha, Upstox, Groww, Angel One जैसे किसी भी ट्रेडिंग एप का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- TradingView वेबसाइट भी BankNifty के चार्ट देखने के लिए बेहतरीन है।
- टाइम फ्रेम सेलेक्ट करें
- अगर आप Intraday Trading कर रहे हैं तो 5 मिनट या 15 मिनट का चार्ट चुनें।
- अगर आप Swing Trading या लंबी अवधि की ट्रेडिंग कर रहे हैं तो 1 घंटा या 1 दिन का चार्ट देखें।
- सपोर्ट और रेजिस्टेंस एरिया पहचानें
- देखें कि किस लेवल से बार-बार प्राइस ऊपर की ओर उछलता है (Support)।
- और किस लेवल से प्राइस बार-बार नीचे की ओर गिरता है (Resistance)।
- Trendline ड्रॉ करें
- Support Levels को आपस में जोड़कर एक लाइन खींचें।
- Resistance Levels को भी जोड़कर अलग लाइन खींचें।
- Trading Strategy बनाएं
- जब प्राइस Support Level से उछलकर ऊपर जाए → Buy/Long Position लें।
- जब प्राइस Resistance Level से टकराकर नीचे गिरे → Sell/Short Position लें।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस strategy
ट्रेडिंग में सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्ट्रेटेजी सबसे ज्यादा उपयोग होने वाली और भरोसेमंद तकनीकों में से एक है। इसका सही इस्तेमाल करके आप मार्केट में सही Entry और Exit पॉइंट चुन सकते हैं और अनावश्यक नुकसान से बच सकते हैं।
📌 सपोर्ट और रेजिस्टेंस Strategy के मुख्य पॉइंट:
- Buy on Support: जब भी प्राइस किसी सपोर्ट लेवल से ऊपर की ओर मूव करना शुरू करे, तो यह खरीदारी का संकेत हो सकता है।
- Sell on Resistance: जब भी प्राइस रेजिस्टेंस लेवल से टकराकर गिरना शुरू करे, तो वहां बेचकर प्रॉफिट बुक किया जा सकता है।
- Stop Loss लगाएं: हमेशा सपोर्ट के नीचे और रेजिस्टेंस के ऊपर स्टॉप लॉस लगाना जरूरी है ताकि अचानक ब्रेकआउट होने पर नुकसान सीमित रहे।
- Breakout Strategy: अगर प्राइस मजबूत वॉल्यूम के साथ किसी सपोर्ट या रेजिस्टेंस को तोड़ देता है, तो उसी दिशा में बड़ा मूव आ सकता है।
👉 इस तरह सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करके ट्रेडर न केवल सुरक्षित रह सकता है बल्कि मार्केट के हर छोटे-बड़े मूव से भी फायदा उठा सकता है।
FAQ’s (Support & Resistance Indicator in Hindi)
सपोर्ट और रेजिस्टेंस कैसे काम करते हैं?
सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल मार्केट में barriers की तरह काम करते हैं। सपोर्ट वह स्तर है जहां प्राइस नीचे जाकर रुकता है और bounce करता है, जबकि रेजिस्टेंस वह स्तर है जहां प्राइस ऊपर जाकर रुकता है और नीचे गिरना शुरू करता है। अगर कोई लेवल टूट जाए तो इसे Breakout या Breakdown कहते हैं।
क्या सपोर्ट और रेजिस्टेंस सच में काम करते हैं?
जी हां, ये लेवल्स ट्रेडिंग में असरदार माने जाते हैं क्योंकि यहां buyers और sellers की बड़ी मात्रा में positions होती हैं। सपोर्ट टूटने पर नया सपोर्ट नीचे बन जाता है और पुराना सपोर्ट रेजिस्टेंस में बदल सकता है।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस कई बार क्यों काम नहीं करते?
हर बार सपोर्ट और रेजिस्टेंस perfect काम नहीं करते। sideways market या buyers-sellers की fight के समय प्राइस इन levels को तोड़कर निकल सकता है और कई बार stop-loss हिट हो जाते हैं।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल में क्या अंतर है?
सपोर्ट वह level है जहां से प्राइस ऊपर जाने लगता है, जबकि रेजिस्टेंस वह level है जहां से प्राइस नीचे गिरना शुरू करता है। सरल भाषा में – Support = Buying Zone और Resistance = Selling Zone।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस पर ट्रेड करने की बेस्ट strategy क्या है?
अगर कोई स्टॉक सपोर्ट को कई बार छूकर bounce कर रहा है तो तीसरी बार bounce होते ही Buy करना सही strategy है। इसी तरह अगर प्राइस बार-बार रेजिस्टेंस से टकराकर नीचे आ रहा है तो तीसरी बार गिरना शुरू होते ही Short Sell करना smart move होता है।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस सीखने के लिए सबसे अच्छी किताब कौन सी है?
शुरुआती और प्रो ट्रेडर्स के लिए ‘Technical Analysis Aur Candlestick Ki Pehchaan’ और ‘Price Action Trading’ किताबें बेहतरीन हैं। ये किताबें चार्ट पैटर्न, प्राइस मूवमेंट और support-resistance levels समझने में मदद करती हैं।
अगर आप शेयर बाजार को सही मायनों में समझना चाहते हैं, तो हमारे ब्लॉग के अन्य लेख भी जरूर पढ़ें। हम समय-समय पर ThetaOptionTrading.com and YouTube Channel पर ऐसे विषयों पर जानकारी साझा करते हैं जो आपको स्टॉक्स की गहराई, मार्केट के व्यवहार और इन्वेस्टमेंट से जुड़ी सोच को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेंगे।”
🔚 निष्कर्ष: Support और Resistance in Share Market
इस पोस्ट में आपने सीखा कि सपोर्ट और रेजिस्टेंस क्या होते हैं, ये लेवल्स शेयर मार्केट और ट्रेडिंग में कैसे काम करते हैं, तथा इन्हें पहचानकर सही एंट्री और एग्जिट कैसे तय की जाती है।
साथ ही हमने विस्तार से समझा कि निफ्टी और बैंक निफ्टी के सपोर्ट–रेजिस्टेंस लेवल्स कैसे निकाले जाते हैं और इन्हें ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
उम्मीद है कि अब आपको Support & Resistance से जुड़ी बुनियादी जानकारी स्पष्ट हो गई होगी। फिर भी यदि इस टॉपिक से संबंधित आपका कोई सवाल है तो नीचे कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।
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